कोरिया। जिले के जिला अस्पताल बैकुण्ठपुर के प्रभारी अस्पताल अधीक्षक डॉ राजेन्द्र बंसरिया को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया, निलंबन अवधि में डॉ. राजेन्द्र बंसारिया को मुख्यालय कार्यालय संभागीय संयुक्त संचालक, सरगुजा संभाग, अंबिकापुर निर्धारित किया गया है। सक्षम अधिकारी की अनुमति एवं पूर्व स्वीकृति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ने के निर्देश दिए गए हैं।
जानकारी के अनुसार गुरुवार की दोपहर में जनप्रतिनिधियों को शिकायत मिली कि ऑपरेशन के एवज में 15 हजार रुपए की मांग की गई है, जिसके बाद जिला प्रशासन ने मामले की जांच के लिए डिप्टी कलेक्टर को भेजा, शाम होते होते ये खबर उड़ी की शिकायतकर्ता को मैनेज कर लिया गया है, उसका इलाज कर उसे अपने पक्ष में कर लिया गया है, वही देर रात प्रभारी सीएस के निलंबन का आदेश पहुंच गया।
सीएस पद छोड़ने का दे चुके थे पत्र
जिला अस्पताल में पदस्थ डॉ राजेन्द्र बंसरिया हड्डी रोग विशेषज्ञ है, कुछ दिन पूर्व उन्होंने सीएस का पद छोड़ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा था कि वो इस पद पर नही रहना चाहते है, उन्हें यह कह कर काम करने को कहा गया कि नई नियुक्ति होने तक वो इस पद को संभाले। कई बार उनके समर्थकों ने उन्हें आगाह भी किया गया था कि वो अपने आसपास रहने वालों से सावधान रहें।
वित्तीय अनियमितता अपार
अब तक जिला प्रशासन का ध्यान जिला अस्पताल में लोगो का ध्यान सिर्फ साफ सफाई और चिकित्सकों के आने जाने पर ही केंद्रित रहा है, नेताओ के दौरे के पहले अस्पताल को चकाचक कर दिया जाता रहा, परंतु वित्तीय कामकाज पर पर्दा डला रहता था, इनसाइड स्टोरी लगातार वित्तीय अनियमितता पर प्रहार कर रहा है, इसकी इन बानगी अब सबके सामने है, प्रभारी सीएस निलंबित हो चुके है। वही बीते 6 माह में 50 लाख से ज्यादा के काम बिना लोक निर्माण विभाग की तकनीकी स्वीकृति के आनन फानन में किए जा चुके है। जिसकी कोई जांच करने को तैयार नही है।
तोड़ो बनाओ योजना
जिला अस्पताल में तोड़ो बनाओ योजना में जमकर वित्तीय अनियमितताएं की जा रही है, सबकुछ ठीक होने पर भी बाद भी तोड़ कर नया बनाने में बेवजह लाखो खर्च किया जा रहा है, नियमो को दरकिनार देर रात में चेक काटे जा रहे है, भ्रष्टाचार पर कौ नियंत्रण नही है। दो महीने पहले खरीदे कूलर खराब हो गए है, मरीजों की सुविधाओं पर अस्पताल प्रबंधन सिर्फ राशि खर्च कर रहा है।
एक चिकित्सक बने ठेकेदार
सूत्रों की माने तो जिला अस्पताल में वैसे पहले से ही चिकित्सको की कमी है, ऐसे में एक चिकित्सक ठेकेदार बने हुए है, वो एक भी मरीज को नही देखते है, दिन भर निर्माण कार्य मे व्यस्त और रात होने पर जिला अस्पताल की तीसरी मंजिल में ऑफिस बन्द कर चेक काटने का काम चलता रहता है। मरीजों से कोई लेना देना नही है। नए नए बाबू भी इस अनियमितता में जमकर हाथ आजमा रहे है।